रविवार, 28 फ़रवरी 2010

इतिहास के पृष्ठों में,
कब का चुप है.
लटकते सवाल लिए अपने सर पे..

..दब जाता है,
कौम जात,
रीति रिवाज़,
वाद विवाद के बोझ तले..
डर जाता है,
कतरे ब्योंते कानून से..

जंग की खबर से,
बिलखने लगता है.
रोटी की फ़िक्र में,
सहम जाता है.
maslow's law के ,
पहले ही पडाव में,
छुप जाता है,
किसी अँधेरे कोने में,
गुच्छा सा होके..

रुक नहीं पाता,
तेज़ धार के आगे और
डूब जाती है कोई सोहनी..
कच्चा घड़ा,
बेबस छटपटाता है..

मात खाता है,
जब सारे तरकश,
पहुंच से दूर हो जाते है.
तब जंड सा जड़ हो जाता है..

ढाई ही अक्षर है ,
इसलिए  अक्सर कम पड़ जाता है..

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही बढ़िया लगी पोस्ट , आपको होली की बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकानायें ।

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  2. ढाई ही अक्षर है ,
    इसलिए अक्सर कम पड़ जाता है..
    ..प्रेम..

    डिपंल जी
    कबीर ने कहा था...
    पोथी पोथी पढ़-पढ़ जगमुआ पंडित भया न कोय
    ढ़ाई आखर प्रेम का जो पढ़े सो पंडित होए...
    प्रेम को जिसने पढ़ लिया ..उसे तो रब मिल जाता है....प्रेम अपेक्षा नहीं करता..सिर्फ देना जानता है....बस आजकन देने की जगह लेने की परंपरा चल पढ़ है.....तो दोष किसका....प्रेम का ?

    आपको और आपके सभी परिजनों को होली की रंग-बिरंगी होली मुबारक हो.....पर्व का उल्लास आपके जीवन में आए और छा जाए यही कामना है.......

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  3. जब सारे तरकश,
    पहुंच से दूर हो जाते है.
    तब जंड सा जड़ हो जाता है..

    रोटी की फिक्र का आपने भी कर दिया जिक्र
    सुन्दर रचना

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  4. बहुत बढ़िया!


    ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
    प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
    पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
    खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.


    आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

    -समीर लाल ’समीर’

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  5. इतिहास ने ठीक ऐसे ही लिखा है प्रेम को हर बार.

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  6. Hierarchy of Needs ........Maslow's law..If Im right .......kya combination lagaya hai aapne...kam padta hai ...shayad hamara chunaav galat hota hai

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  7. Perfect!
    Great choice of words and good linkage...
    Keep it up.

    Regards,
    Dimple

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