फैंक दी गयी कबाड़ में से,
ढूंढ़ते है..
कुछ बच्चे,
कुछ सुंदर चीज़े.
बीनते बीनते,
मिल जाते है उनको,
कभी कभी..
टूटी चप्पले,
बिना सर की गुड़िया,
कोई पूरी चूड़ी,
या फिर,
कोई खोटा सिक्का..
अनभिज्ञ है वो,
नीले समंदर की सुन्दरता से,
सूर्य से धरती की दूरी कितनी है,
वो नहीं जानना चाहते.
वो नहीं जानते कि क्या हो,
अगर रुक जाये मशीने सभी किसी क्षण ..
वो आकाश में जाते जहाज़ को देख,
समझते है,
युद्ध होने वाला है..
तंग मांद जैसी,
गलियो में रहने वाले बच्चो का,
प्रिय खेल है-गाडियो के पीछे दौड़ना..
या फिर गिलहरी की पूंछ को हाथ लगाना..
कवि ने पढ़ ली उनकी आँखों की उदासी,
और पिरो दी शब्दों के ताने बाने में..
पर उन्हें नज़र आते है बस चंद काले धब्बे..
"बहुत ही सुन्दर रचना पूरा का पूरा एक चित्र,कोई नेगेटिव बात नहीं..."
जवाब देंहटाएंप्रणव सक्सैना amitraghat.blogspot.com
बहुत ही सुन्दर व भावुक रचना ।
जवाब देंहटाएं..पर उन्हें नज़र आते है बस चंद काले धब्बे.
जवाब देंहटाएंकविता का अंत काफी जोरदार है. इन बचों को देख कर दया आती है.
सशक्त रचना के लिए बधाई स्वीकार करें.
मांद जैसी,
जवाब देंहटाएंगलियो में रहने वाले बच्चो का,
प्रिय खेल है-गाडियो के पीछे दौड़ना..
या फिर गिलहरी की पूंछ को हाथ लगाना..
कवि ने पढ़ ली उनकी आँखों की उदासी,
और पिरो दी शब्दों के ताने बाने में..
पर उन्हें नज़र आते है बस चंद काले धब्बे..
मै किसी भी कोने से दुःख को उठायु ....किसी भी तरीके से ....वो हाथ में चुभता है ओर आँख को फेर कर उसे इग्नोर करूँ......वो दूसरे रास्ते खड़ा नज़र आता है
पर उन्हें नज़र आते है बस चंद काले धब्बे.
जवाब देंहटाएंBehad achhee,sachhee rachana!
कवि ने पूरी तरह भिंगो दिया है...
जवाब देंहटाएंdimple bahut hi pyare bhav hai..sach kahein to kachre ke is dher mein hi unki har jarurat hai.
जवाब देंहटाएंjindagi bhi..sapne bhi..khwahishen bhi..
हर काले धब्बे की अपनी कहानी है,., शब्दों का चयन बढ़िया रहा ..
जवाब देंहटाएंjaandaar, shaandaar....behad damdaar
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत रचना । संवेदनशीलता रचती है ऐसी पंक्तियों की भूमिका ! अनोखा संस्पर्श मिलता है रचनाओं को !
जवाब देंहटाएंआभार ।
bahoot hee achha hai
जवाब देंहटाएंकहीं छू गयी यह कविता
जवाब देंहटाएंभावौक रचना है बहुत ही ... बच्चों का अपना संसार होता है .. अपने सपने होते हैं जो छोटी छोटी चीज़ों से जुड़े होते हैं ... कवि का अपना केनवास होता है .. पर किसी बच्चे के लिए सच है वो काले धब्बे ही होते हैं ....
जवाब देंहटाएंकुछ ख्वाब भी ऐसे ही होते है इन बच्चो के जीवन की तरह .......
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसबके अपने अपने ग़म हैं मियां
जवाब देंहटाएंदुःख समझ लेंगे लोग,
जी में कुछ ऐसे ही भरम हैं मियां
बहुत मार्मिक रचना है दिल को छू गयी
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar rachna, kehne ka dhang bahut accha hai. dard ka ehsas bhi kara gayi bina dard ko zahir kiye
जवाब देंहटाएंअलिफ़ से याराना छीन लिए जाने की साजिश को ही विकास कहा जा रहा है. शिक्षा के निजीकरण ने पढाई को लूटा है और एक नया फासला खड़ा किया है आम और खास विद्यार्थी के बीच फिर वे काले धब्बे ही तो होंगे हमारे लिए.
जवाब देंहटाएंकाश कि फोटो वाले इस बच्चे के खाली थैले सपनों से भर दिये गये होते..सुंदरता बड़ी सापेक्ष चीज होती है..कूड़ा बीनने वाला कूड़े के ढेर मे भी उसी सुंदरता को तलाश करता है जो उसकी जिंदगी से कहीं गयब हो गयी होती है..भूखे इंसान के लिये दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज एक गर्म गोल रोटी होती है..स्रष्टि के सौन्दर्य, कला की खूबसूरती का एक भूखे इंसान के लिये कोई मतलब नही होता..उसी तरह जैसे उन काले धब्बों का कोई मतलब नही होता, जिन्हे हम एक संवेदनशील कविता कहते हैं जो उन लोगों पर लिखी गयी होती है जो उसे पढ़ नही सकते..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन और संवेदनशील कविता...