सुबह सूरज दिखा दो अभी,
रात शबनम गिरा दो अभी,
क्या हुआ, क्यूँ हुआ, कब हुआ?
बात सारी भुला दो अभी.
आग जंगल की बुझ जाएगी
घर का चूल्हा जला दो अभी.
ख्वाहिशें हैं सफ़र की अगर,
सरहदों को मिटा दो अभी.
सब्र शामों का होता नहीं,
चाँद छत पे बुला दो अभी.
बात उनमें नहीं है अगर,
उनसे नज़रें हटा दो अभी.
हाँ वो दिल को भले से लगे,
कोई उनको बता दो अभी.
सुबह सूरज दिखा दो अभी,
जवाब देंहटाएंरात शबनम गिरा दो अभी,
घर उजाले कहीं खो न जायें
दीपक ये सारे जला दो अभी....
डिम्पल जी बहुत खूब...
बहुत अच्छा ।
जवाब देंहटाएंयूँ ही नींद में कभी देखा जिन्हें,
वो सपने अब सोने नहीं देते।
अगर आप हिंदी साहित्य की दुर्लभ पुस्तकें जैसे उपन्यास, कहानियां, नाटक मुफ्त डाउनलोड करना चाहते है तो कृपया किताबघर से डाउनलोड करें । इसका पता है:
http://Kitabghar.tk
sunder abhivyktee .
जवाब देंहटाएंbahut achhi
जवाब देंहटाएं-Sheena
सब्र शामों का होता नहीं,
जवाब देंहटाएंचाँद छत पे बुला दो अभी.
kya baat hai.. aur abhi ahsaas hua ki ye bas 'Tippani' nahi hai :)
बहुत प्यारी प्रेमाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंhello,
जवाब देंहटाएंgot to you thru Sheena....
i must say that you write so well...
keep on writing...
thanks.
mohak !
जवाब देंहटाएंसब्र शामों का होता नहीं,
जवाब देंहटाएंचाँद छत पे बुला दो अभी.
हाँ वो दिल को भले से लगे,
कोई उनको बता दो अभी
बहुत खूब ... कमाल के शेर हैं सब .. लाजवाब लिखा है ..
ख्वाहिशें हैं सफ़र की अगर,
जवाब देंहटाएंसरहदों को मिटा दो अभी.
Kya khoob kaha!
"आग जंगल की बुझ जाएगी
जवाब देंहटाएंघर का चूल्हा जला दो अभी"
अतिशयोक्ति बेशक लगे लेकिन लाजवाब और बहुत सटीक.
"आग जंगल की बुझ जाएगी घर का चूल्हा जला दो अभी"
जवाब देंहटाएंलाजवाब और बहुत सटीक.
"आग जंगल की बुझ जाएगी घर का चूल्हा जला दो अभी"
जवाब देंहटाएंलाजवाब
सब्र शामों का होता नहीं,
जवाब देंहटाएंचाँद छत पे बुला दो अभी.
सावधान! छत गर्म हो तो चाँद के तलवे जल सकते हैं....
Hello Dimple,
जवाब देंहटाएंUmdaaaaah!!
Mann ko chooh gayi... bahut achha likha hai :)
Sensitive and Sensible :)
Regards,
Dimps
Raj ji,bahut dino se post bhi nahi likhi aur bahut dino se aap ka agman bhi nahi hua mere blog par.
जवाब देंहटाएंUmmeed hai aap theek hongi.
Hamesha ki tarah bhavnaon se labrez aapki ghazal ,umda aur khoobsoorat bhi .
Aameen,yoon hi likhtee rahen yahi dua hai .
sader,
dr.bhoopendra
jeevansandarbh.blogspot.com
सुन्दरतम् अभिव्यक्ति। आभार!!
जवाब देंहटाएंपहली दफा शायद आपके इधर आना हुआ है ..
जवाब देंहटाएंकुछ शे'र नए हैं अछे लगे ... लिखते रहें...
आखिर से दूसरा शे'र कुछ समझ नहीं आ रहा ...
मैं अभी जिसके काबिल नहीं
खौफ दिल में जगा दे अभी
अर्श
ख्वाहिशें हैं सफ़र की अगर,
जवाब देंहटाएंसरहदों को मिटा दो अभी.
वाकई सरहदें ख्वाहिशों को मार डालती हैं -- सरहदों से पार जाना ही होगा.
गज़ल़ की सहजता ही में इसकी खूबसूरती है।
जवाब देंहटाएंख्वाहिशें हैं सफ़र की अगर,
जवाब देंहटाएंसरहदों को मिटा दो अभी.
decent wordings in poem......i must say beautiful poem.....!Thanx
पहला ही शेर जबरदस्त रहा.. बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंbahut khhob
जवाब देंहटाएं"आग जंगल की बुझ जाएगी
जवाब देंहटाएंघर का चूल्हा जला दो अभी"
gazab ki abhivyakti he ji,,
ख्वाहिशें हैं सफ़र की अगर,
जवाब देंहटाएंसरहदों को मिटा दो अभी.
आहा !
एक और शेर हो जाएगा।
पेश-ए-आईना मुस्कुरा दो अभी!
बहुत खूब मेरी शुभकामनाएँ
Lillah! der ho gai hamse aane mein
जवाब देंहटाएंbas aankho se hi muskura do abhi :-) Ye kaisi rahi
Dimpal Ji, bahut khoob .....Surinder
जवाब देंहटाएंबात उनमें नहीं है अगर,
उनसे नज़रें हटा दो अभी.
हाँ वो दिल को भले से लगे,
कोई उनको बता दो अभी.
ख्वाहिशें हैं सफ़र की अगर,
जवाब देंहटाएंसरहदों को मिटा दो अभी.
सब्र शामों का होता नहीं,
चाँद छत पे बुला दो अभी.
शेर बहुत पसंद आये..आभार!
"अच्छी कोशिश है" यह वाक्य इस आशा के साथ कह रहा हूँ, कि आपको इस रचना को रचने से पहले महसूस हो रहा होगा या होना चाहिए था कि "इस का लिखा जाना सबसे ज़रूरी है"....मैं इसे ग़ज़ल कह सकता हूँ कि यह ग़ज़ल होने का एक नियम निभा ही रही है, और छोटी बह्र की रचना होने के कारन, कुछ गलतियाँ हुई हैं....और अभिव्यक्ति की बात कहूँ तो
जवाब देंहटाएंहाँ वो दिल को भले से लगे,
कोई उनको बता दो अभी।
ख्वाहिशें हैं सफ़र की अगर,
सरहदों को मिटा दो अभी।
पसंद आया.........
इसने थोडा सा परेशान किया,वजह शायद किसी रचना को अल्पतम समझ के दायरे में लाना, जो कि मेरी अधिकारिक बीमारी है। आप इस बात को मुझे समझा सकें तो ज़रूर बताएं.....
आग जंगल की बुझ जाएगी
घर का चूल्हा जला दो अभी।
यह भी बताएं कि जंगल का प्रयोग क्या प्रतीकात्मक है..?
Nishant...
डिम्पल जी बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंछोटे बहर की उन्मुक्त ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंकुछ देखे हुए से दृश्य है और कुछ सोचे हुए.