रविवार, 24 अगस्त 2014

मैंने उसके हाथ छुए रेत रेत थे। 
अभी घर बना कर लौटी होगी। 
ऑंखें भीगी मैंने पोंछी। फिर बही। मैंने बहने दी ...
पूछा कहानी सुनाऊँ ? तुम्हें नींद आ जाएगी 
बोली ,"कविता सुनाओ सबसे खतरनाक क्या है ये बताओ" 
मैंने सांसे उसकी हल्के से दबायी। न वो हिली न ही कसमसाई 
मैंने फिर पुछा ,"तुम्हारी कोई इच्छा हो तो बताओ"
उसने कहा ,"उसकी आवाज़ सुना दो "
मैं जानती थी सूना देती तो उसकी नसों का जमा लहुँ पिघल जाता 
मैंने और जोर से सांसों पर हाथ रखा। उसकी आँखे अब भी उम्मीद से भरी थी
कोई राजकुमार आएगा उसके होंटो को चूम लेगा
उसने पुछा ,"क्या आएगा ?"
बेवकूफ थी बिना किनारों वाली नदी में तैरती रही
वो कभी नहीं बनना चाहती थी कोई कहानी ..