शनिवार, 13 नवंबर 2010

फूल मूंदकर बंद होने के समय..

गुफ़ा की छ्त  से
पिघली बर्फ का यूँ मृदंग बजे..


धूप पीते हो
दरख्तों की चोटियों पे
बैठे हुए परिंदे जैसे..


बादल छाये रहे
जहाँ ऊँचे-ऊँचे  शिखरों पे हरदम..


बार - बार लौटे वही
एक बार कही
बात जहाँ..


बिखरी पड़ी हो
हरसू धान की महक..


गुलमोहर का नर्म सहारा लेके
फीके सुनहरी शफक को देखे..


आंखे मीचे-मीचे
सामने से गुजर जाये
सूरज के सभी घोड़े..


पूरे चाँद की सर्द रातें
आस्मां पे उतर आये..


इस से पहले
तेज़ हवाए बहा ले जाये..


तुम साथ साथ पढ़ते रहना
रेत पे लिखूंगी में जो
सिर्फ तुम्हारे लिए..

20 टिप्‍पणियां:

  1. वाह! बेहतरीन अन्दाज़-ए-बयाँ……………सुन्दर अहसास्।

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  2. अच्छी कविता ...अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं.

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  3. पूरे चाँद की सर्द रातें
    आस्मां पे उतर आये..

    इस से पहले
    तेज़ हवाए बहा ले जाये..

    तुम साथ साथ पढ़ते रहना
    रेत पे लिखूंगी में जो
    सिर्फ तुम्हारे लिए..
    Kitni nazakat hai in shabdon me!

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  4. दिल में रूमानी धड़कने छेड़ देने वाली पंक्तियाँ

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  5. प्रतीकों का बड़ा ही सुन्दर प्रयोग।

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  6. खुबसूरत ख्याल, अच्छी बुनावट के साथ अंतिम पैरा
    "तुम साथ साथ पढ़ते रहना
    रेत पे लिखूंगी में जो
    सिर्फ तुम्हारे लिए"
    ------- उत्तम इबादत

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  7. Dimple, tum hamesha situation tragic bana dete ho ...Ret par likhogi to koi kaise padhega aur fir ulahana ....maine to likha diya sab kuch...tumne samjha kyo nahi:-)

    Just kidding

    as unusual khoobsoorat, khushnuma

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  8. तुम साथ साथ पढ़ते रहना
    रेत पे लिखूंगी में जो
    सिर्फ तुम्हारे लिए"
    बहुत मनोहारी अद्भुत चित्रण प्रेम का

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  9. इस से पहले
    तेज़ हवाए बहा ले जाये..

    तुम साथ साथ पढ़ते रहना
    रेत पे लिखूंगी में जो
    सिर्फ तुम्हारे लिए...
    बहुत ही खूबसूरत एहसास बुना है ... शब्दों कि जादूगरी है ये ..

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  10. अभिराम बिम्बों के साथ, उतनी ही सुन्दर.सौंदर्य भी एकदम नएपन के साथ.

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  11. डिम्पल जी, ये लाइनें विशेष पसंद आयीं -

    तुम साथ साथ पढ़ते रहना
    रेत पे लिखूंगी में जो
    सिर्फ तुम्हारे लिए

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  12. sudar shabdo or vicharo ka tana bana ..badhai Ho!!

    Jai HO Mangalmay HO

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  13. bahut der se padh raha hoon ji

    panktiyo ne jaise shbd nahi , bas bhaavnaaye hi tair rahi ho ....

    kudos ..

    vijay
    kavitao ke man se ...
    pls visit my blog - poemsofvijay.blogspot.com

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  14. You are full of Love
    You are full of Passion
    You are full of Dreams...

    You are full of Life...

    You are blessed by Universe.
    This will flower
    This will become an endless
    Shower of Un-conditioned Love.

    We all call you 'Dimpy the Dream'.

    Dream what you dare to Dream.

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  15. इस बार मेरे ब्लॉग में '''''''''महंगी होती शादिया .............

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...क्यूंकि कुछ टिप्पणियाँ बस 'टिप्पणियाँ' नहीं होती.