धुली,
गीली सी,
यादों से,
आहिस्ता आहिस्ता.
कई ख्याल,
सरक के गिरते,
रफ्ता रफ्ता.
उलझती सोचो को,
संवारा हमने.
अटकती बातों से,
सहलाया उन्हें.
बेख्याली में,
बांधा फिर उम्मीद की,
किसी गांठ से.
सुनहरी फूल इक ख्वाब का भी,
टांका उसमे.
इक सुरमयी शाम यूँ,
मुहब्बत की नज्म हो सिमटी..
ये मुलाकात भी,
पिछली की तरह ही निबटी..
बहुत कोमल से एहसासों से बुनी प्यारी सी नज़्म....अंतिम पंक्तियों में जैसे सारा दर्द सिमट आया है...अच्छी लगी...
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण!!
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंओह! गजब
जवाब देंहटाएं" सपने जो सोने नहीं देते "
जवाब देंहटाएंSuch dreams propels us to rise high. Cherish it and work on it.
Best wishes !
"ye mulakat bhi pichli ki tarah hi guzri"........mulakat me kasak nazar aati hai............bahut achi likhi hai
जवाब देंहटाएंबहुत कोमल से एहसासों से बुनी प्यारी सी नज़्म..
जवाब देंहटाएंमैं मुस्कुरा उठा कसम से ! कितना ईमानदार !!!!!
जवाब देंहटाएं"ये मुलाकात भी,
पिछली की तरह ही निबटी"
कहीं खो गया था इस ख्याल में... एक ग़ज़ल याद आ गयी जगजीत सिंह की...
इक सुरमयी शाम यूँ,
जवाब देंहटाएंमुहब्बत की नज्म हो सिमटी..
ये मुलाकात भी,
पिछली की तरह ही निबटी.. mulakaat khyalon mein jo karogi dimple to bas yun hi niptegi....chalo ham khyaal hi badal dete hai :-)
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंhttp://oldandlost.blogspot.com/
ये मुलाकात भी,
जवाब देंहटाएंपिछली की तरह ही निबटी..
इस मुलाकात पिछ्ली की तरह कहाँ निबटी
अरे! इसने तो इतनी खूबसूरत नज़्म दी.
रेतीली हवाये
जवाब देंहटाएंबहुत सख्त होती है
हरियाली को लील जाती है
पर न जाने यह कौन सी
सी नमी है ख्वाहिशो की
जिसे
ये सख्त हवाये छू भी नही पाती है !
hmmmmmmm.....main kuch soch rahaa hun....yah padhkar...sochkar baatungaa....are haan yaad aayaa....ye kavita to badi acchhi hai....!!
जवाब देंहटाएंhmmmmmm isi tarah....rafta-raftaa badhti rahen aap....illaah........!!
जवाब देंहटाएंवाह, ये क्या था...
जवाब देंहटाएंअटकती बातों से,
सहलाया उन्हें.
बेख्याली में,
बांधा फिर उम्मीद की,
किसी गांठ से.
काफ़ी कुछ आपने फ़सा सा दिया है यहा.. एक maze सी है..निकलने की कोशिश कर रहा हू :)
Nice!
जवाब देंहटाएंMulaaqat khayaalon ki... beautiful :)
Regards,
Dimps
बेहद ख़ूबसूरत और शानदार रचना लिखा है आपने जो प्रशंग्सनीय है! बहुत खूब! बधाई!
जवाब देंहटाएंaaahaa ..kya kahne ..kavita ne anoothi pratiti di...bahut dino baad blog par aana hua par itne komal ahsaas padhkar bahut achha laga
जवाब देंहटाएंमुहब्बत की नज्म हो सिमटी..
ये मुलाकात भी,
पिछली की तरह ही निबटी..
aur ye panktiyan aapki nazm ko sampoornata pradaan karti hai
sach me is nazm se mulakaat bhi pichhli ki tarah meethi aur avismarneeya rahi
Khoobsoorat khyaal .... behad umda ...
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