त्रिवेणी
वो ख़याल है कि हकीकत है कोई सबूत नही,
मेरी नज़मो में मगर वो बसता है ,
खुदा को देखा तो नही किसी ने भी।
अहसास तो था कि यादें बेतरतीब है,
हंसाते हंसाते रुला देती है मूझे ,
अलमारी खोली तो सब कपड़े बाहर गिर पड़े।
मैंने सुना नही तुम्हे कई दिन से,
शायद तुम कुछ बोले भी नही हो,
बाहर पटाको का शोर बहुत है.
अहसास तो था कि यादें बेतरतीब है,
जवाब देंहटाएंहंसाते हंसाते रुला देती है मूझे ,
अलमारी खोली तो सब कपड़े बाहर गिर पड़े।
मैंने सुना नही तुम्हे कई दिन से,
शायद तुम कुछ बोले भी नही हो,
बहार पटाको का शोर बहुत है.
कई बार आप कमाल की बातें कमाल के अंदाज़ में कह देतीं हैं तो कभी लगता है कि कोई बहुत मासूम सी बच्ची काग़ज़ से खेल रहीं है। दोनों ही त्रिवेणी ग़ज़ब की लगीं।
वो ख़याल है की हकीकत है कोई सबूत नही,
जवाब देंहटाएंमेरी नज़मो में मगर वो बसता है ,
खुदा को देखा तो नही किसी ने भी।
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तुम्हारे घर के बाजू में
नीम का जो पेंड है
उस पे कुछ एहसास के घरोंदे हैं
कुछ अल्फाज़
जरूर उतर आते होंगे तेरे नज्मों में
वे एहसास मेरे हैं...
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अहसास तो था कि यादें बेतरतीब है,
हंसाते हंसाते रुला देती है मूझे ,
अलमारी खोली तो सब कपड़े बाहर गिर पड़े।
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मेरी आलमारी में भी
कुछ कपडे पड़े हैं तेरे
अब तक
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मैंने सुना नही तुम्हे कई दिन से,
शायद तुम कुछ बोले भी नही हो,
बहार पटाको का शोर बहुत है.
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ये कुछ हथेलियाँ हैं
चाहो तो रख लो
इनमें तुम्हारे लिए स्पर्श जमा हैं
स्पर्श आवाज में नहीं बोलते!
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जवाब देंहटाएंबढिया त्रिवेणीयां है।बधाई।
जवाब देंहटाएंवो ख़याल है कि हकीकत है कोई सबूत नही,
जवाब देंहटाएंमेरी नज़मो में मगर वो बसता है ,
खुदा को देखा तो नही किसी ने भी।
bahut khoob likha hai..
deepotsav ki shubhkamanayein...
मैंने सुना नही तुम्हे कई दिन से,
जवाब देंहटाएंशायद तुम कुछ बोले भी नही हो,
बाहर पटाको का शोर बहुत है.
बहुत सुन्दर
बहुत जबरदस्त और उम्दा त्रिवेणियाँ हैं.
जवाब देंहटाएंसुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
सादर
-समीर लाल 'समीर'
इतने सरल शब्दों में इतनी गहरी बात ...बहुत बढ़िया ..
जवाब देंहटाएंशुभ दीपावली ..!!
darpan ne batayaa thaa ke aap ke blog pe kuchh behtreen triveniyaan hain...
जवाब देंहटाएंpahli aur doosri triveni padhi to hairaan rah gayaa,
sahi kahaa thaa usne....
aur ant mein...
pataake ke shor se kyaa fark padtaa hai...?
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जवाब देंहटाएंbahut hi achcha ..aur aapko deepawali ki shubhkaamna....
जवाब देंहटाएंHello Raj,
जवाब देंहटाएंI told you in the last comment as well... You are a blessed soul! Hope you continue writing in this exceptional way always... Very fine composition!
Regards,
Dimple
लाजवाब .... एक से बढ़ कर एक दिवाली के तोहफे की तरह खूबसूरत त्रिवेनियाँ ........... गहरे एहसास सिमटे हुवे हैं ...........
जवाब देंहटाएंये दीपावली आपके जीवन में नयी नयी खुशियाँ ले कर आये .........
बहुत बहुत मंगल कामनाएं .........
sabne itna kuch kaha ham kya bole...behad khoobsoorat......diwali ki mangalkaamnaye
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिखा है आपने ! आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंराज की त्रिवेणीयाँ, फिर दर्पण जी की, और दर्पण जी और राज जी का संवाद ...मै तो दंग रह गया...ऐसा सबकुछ हो सकता है...
जवाब देंहटाएंrajji,
जवाब देंहटाएंin triveni ka rogi mujhe pahle to darpanji ne banaaya, ab aap bhi yahi kar rahi he lagtaa he/ aapko bataa du ki darpanji ki triveniyo se me khaasaa prabhaavit rahtaa hu, aour pataa nhi kyu mujhe anya knhi kisi blog par post ki gai triveni ab tak prabhavit nahi kar saki, kintu is baar me aapko badhaai doongaa,
अहसास तो था कि यादें बेतरतीब है,
हंसाते हंसाते रुला देती है मूझे ,
अलमारी खोली तो सब कपड़े बाहर गिर पड़े।
ye sabse behatar he/ raj ji..aap vakai raaj he, yaani chhupirustam/ bahut khoob likhati he aap/
khubsurat rachna jo man ko chhu gai...
जवाब देंहटाएंRaj aap itni achhi aur itni gehraayi wali triveni bhi likh leti hai
जवाब देंहटाएंyeh aaj pata chala
bahut hi achha likha hai
-Sheena
बहुत गहरे भाव हैं, जिन्हें आपने बहुत सलीके से व्यक्त किया है।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
मैंने सुना नही तुम्हे कई दिन से,
जवाब देंहटाएंशायद तुम कुछ बोले भी नही हो
kya kah diya hai!
कविता के ये छोटे इंजन टिप्पणियों के बेशुमार डब्बे खींचने की क्षमता रखते हैं
जवाब देंहटाएं