यह एक कविता है..
एक साधारण कविता..
कविता काल्पनिक भी है..
..हालाँकि नाम वास्तविकता के कुछ करीब हो सकते है..
पर पात्र कविता की तरह साधारण ही है..
सोना..
..सोना खुद रोती है..किसी बडे अफ़्सोस् जितना।
एक साधारण कविता..
कविता काल्पनिक भी है..
..हालाँकि नाम वास्तविकता के कुछ करीब हो सकते है..
पर पात्र कविता की तरह साधारण ही है..
सोना..
..सोना खुद रोती है..किसी बडे अफ़्सोस् जितना।
पर दादी के आंसू नहीं पिघला पाते उस बर्फ को..
जाने क्यों इतनी जिद्द..
पूरे खुले शीशे को और खोलने की.
भूल जाती है या खो जाती है..
कॉरिडोर में..
देर बाद लौटती है..
..वो भी बिना पिए पानी..
उसे पता नही चाहिए क्या..
देर तक देखती है..
रेलिंग पर बैठे कौओ को..
फेंक देती है उनके आगे सारा खाना..
नही नही..
भूखे नही रहती..
वह तो..
जाने क्यों इतनी जिद्द..
पूरे खुले शीशे को और खोलने की.
भूल जाती है या खो जाती है..
कॉरिडोर में..
देर बाद लौटती है..
..वो भी बिना पिए पानी..
उसे पता नही चाहिए क्या..
देर तक देखती है..
रेलिंग पर बैठे कौओ को..
फेंक देती है उनके आगे सारा खाना..
नही नही..
भूखे नही रहती..
वह तो..
छीन लेती है किसी और से..
उलझती रहती है आढ़ी टेढ़ी चन्दरी रूहों सी रेखाओं में..
भर देती है कागज़ गोल लाल बिंदियो से..
..इस दिसम्बर आठ साल की हो जाएगी..सोना..
चार साल से नही मिली माँ से..
पर बताती है..
उसे याद है अभी तक उसकी..
और जब याद आती है तो बहुत याद आती है..
भर देती है कागज़ गोल लाल बिंदियो से..
..इस दिसम्बर आठ साल की हो जाएगी..सोना..
चार साल से नही मिली माँ से..
पर बताती है..
उसे याद है अभी तक उसकी..
और जब याद आती है तो बहुत याद आती है..
.....................................
सोना की सूरत पापा सी नही है..
पर दोनों ही कभी किसी को नही दिखे....
मुस्कराते हुए...
द्रवित करती पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएं..इस दिसम्बर आठ साल की हो जाएगी..सोना..
जवाब देंहटाएंचार साल से नही मिली माँ से..
पर बताती है..
उसे याद है अभी तक उसकी..
और जब याद आती है तो बहुत याद आती है..
Uf!
सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंन जाने कितने पात्र इस वास्तविकता से करीब होंगे....
जवाब देंहटाएंकभी हमें नज़र आते है और कभी दिखाई भी नहीं देते....
कभी होता है कि चित्र और शब्द जैसे एक दूसरे के पूरक होते हैं...कविता जो खाका खींचती है, चित्र उसका पैरहन बन जाता है. पनियाली आँखें दिखती हैं...तुमने कैसी तो उदासी रची है डिम्पल कि दिल भीगने लगा है.
जवाब देंहटाएंsundar prayog!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति पर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई ||
मासूम सी रचना... लगता है निकट कहीं स्पंदित हो रही है...
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...
जब याद आती है तो बहुत याद आती है.. very lovely lines...
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव..खूबसूरत अभिव्यक्ति, बेहतरीन कविता.
जवाब देंहटाएंभीतर तक स्पर्श करती हुई.
जवाब देंहटाएंप्यारी भाव
जवाब देंहटाएंप्यारी भावनाएं
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