मैं २० तारिख को नहीं लौट सकती
क्योंकि मैं लौट चुकी हूँ
मगर मैं तो रुकी हुई हूँ
शायद मैंने लौटने की कोशिश की होगी
किसी को समझ नहीं आ सकता मेरा न लौटना
पर तुम जान जाओगे
गाड़िया हमे दूर ले जाती है पर
वापिस भी ले आती है
मैं लिखना नहीं चाहती कुछ भी सिर्फ खतों के जवाब लिखना चाहती हूँ
खत जो बिखरे हो मेज़ पर
तुम लिखोगे कैसे मुझे मेरा पता नहीं पता मुझे
तुम् क्या तेज़- तेज़ चल के नहीं आ सकते मी पास
हो सकता है तुम्हे पता न हो तुम्हारे घर से बाहर निकलते ही मोड़ पर मेरा घर हो
तुम क्या सोचते हो
ज़मीन नीली हो तब भी तुम सुनहिरी धुप से आसमान को ढक लेते थे
दिमाग ओ दिल कुछ देर तक ज़िंदा रहते है
मर जाने के बाद भी
उनमे कुछ बचा होता है जाने क्या
फिर मरना क्या हुआ ?
बात ना करना ?
तो क्या मैं ज़िंदा नहीं हूँ?
पर मुझे पीपल के पेड़ से डर लगता है
अँधेरे में उसकी शाखाये काली होती है
इसका मतलब मैं अकेले नहीं रह सकती
अकेले में मेरी चुडिया बाते करती हैं
लाल चुडिया जो तुमने नहीं ले के दी
लगता है तुम ने बनाई थी कांच पिघला कर
लाल सुर्ख पलाश के फूलो की तरह लाल
मैंने कहा था पहना दो मुझसे नहीं पहनी जाती
पहनी तो जा रही थी
मुझे कांच पर टूट न जाने का भरोसा नहीं था
तुमने मना कर दिया
तुमने कहा एक एक कर के पहन लो
मैंने पहन ली
तुम सो गए क्या
तुम मेरी बात नहीं सुन रहे थे
तुम को क्या लगा
मैं हमेशा बोलती रहूंगी
जब भी तुम आंखे खोल के मेरी तरफ देखोगे
क्या अगर मैं चुप हो गयी तो
पर मैं तो चुप हूँ
कोई नही समझेगा मेरे बात करने में मेरा चुप होना
तुम समझ जाओगे
बहुत बढ़िया गं....आखिर आपने व्यस्त टाइम से भी समय निकाल ही लिया ! हार्दिक शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंअकेले में मेरी चुडिया बाते करती हैं
जवाब देंहटाएंलाल चुडिया जो तुमने नहीं ले के दी
वाह ! कितनी सुन्दर पंक्तियाँ हैं
याद ही कर रही थी तुम्हें।
जवाब देंहटाएंपलाश पिघला के लाल चूड़ियाँ। उफ़। मिले कहीं बनाने वाला तो बताना मुझे भी।