शुक्रवार, 11 नवंबर 2016

लड़की वक़्त को कलाई पर बांधती है 
और घर से निकलती है 
उसे बताया गया था बार-बार कि 
धरती गोल है 
पर वो याद नहीं रखती 
वो थोड़ी दूर चलती है
सबकी नज़रों से बचती है
और चिड़िया बन जाती है
विशाल बादल देख चिड़िया बनी लड़की
पहले डरती है
फिर पंख में बांध कर उड़ा देती है
वह रास्ते में कहीं नहीं रूकती
उसे दूर देश जाना है
वह देश हरा है
उसकी हवा नीली है
वह बारिशों का देश है
चिड़िया फिर से लड़की है
उसके पैरों के नीचे ज़मीन है
पर वह ज़मीन से थोड़ा ऊपर चलती है
जब वह चलती है
उसे अपनी ही पायल की आवाज़ सुनाई देती है
उसे नीला रंग ज्यादा नीला लगता है
हरे पत्ते ज्यादा हरे
लड़की की गाड़ी सिग्नल पर रुकती है
लड़का इंतज़ार कर रहा है
दोनों अब साथ-साथ है
और मुस्करा रहे है
लड़का कुछ बोलता है
जिसे लड़की नहीं सुनती
लड़का कुछ कदम आगे चलता है
दरवाज़े में चाबी घुमाता है
इसी बीच लड़की सोच रही है
उसे कौन सा पांव पहले रखना है
लड़का तेजी से अंदर जाता है
लड़की वही पांव पहले रखती है
जो लड़के ने रखा था
कलाई पर बांधा वक़्त लड़की मेज़ पर रखती है
और पांवों से घर नापती है
लड़की को लगता है
सब ठहरा हुआ है
घर में एक भी घड़ी नहीं है
दीवारें बेहरकत हैं उन पर कोई भी तस्वीरें नहीं हैं
वह बेरंग भी नहीं हैं
खिड़कियाँ बंद हैं
घर का कोई आस्मां नहीं है,
न ही घर की कोई ज़मीन है
छत पर कोई जाला नहीं है
मकड़ियों का जंगल यहां नहीं होगा
लड़की चैन की साँस लेती है
दुनिया एक कहानी है
यह बात लड़के ने उसे एक दिन बतायी थी
लोग इस कहानी के पात्र है
लेकिन यह कहानी घर के बाहर है
घर के अंदर लड़का और लड़की हैं
लड़की खाना बनाते हुए कविता सोचती है
लड़का खाते हुए पढ़ लेता है
लड़का गाने सुन रहा है
लड़की अनार छील रही है
दोनों बातों का कोई मेल नहीं है
दोनों खामोश है
पर एक दुसरे को सुन सकते हैं
उन्हें बोलना कम पड़ता है क्यों कि
दोनों एक दुसरे को जानते है
वह दोनों धीरे बोलते है
क्यों जो ऊँची बोलने से फांसले लगते हैं
लड़का किताबे छांट रहा है
लड़की ढ़ेर सी किताबें नहीं पढ़ना चाहती
वो जो पढ़ती है भूल जाती है
लड़का जो उसे सुनाता है
उसे वह कभी नहीं भूलती
लड़के के हाथ में काफ्का की किताब है
लड़की का ध्यान कुकर की सीटी गिनने में है
लड़का कविता पड़ता है किसी युवा देश की
लड़की उछल पड़ती है
यह वही कविता थी
जो लड़के ने बरसों पहले सुनाई थी
और उसे अब भी याद थी ……

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