tag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post6576091446859739346..comments2023-11-03T15:39:20.105+05:30Comments on सपने जो सोने नहीं देते : डिम्पल मल्होत्राhttp://www.blogger.com/profile/07224725278715403648noreply@blogger.comBlogger25125tag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-38598620908245753132010-09-07T19:07:50.517+05:302010-09-07T19:07:50.517+05:30उदास सी कर देती है
आँखों के कोनों को
गीली सीली सी ...उदास सी कर देती है<br />आँखों के कोनों को<br />गीली सीली सी किसी खास कलाकार की अदायगी..<br />.....these lines r able to remember those who r "vry special " to someone...<br />..................thanx.meemaanshahttps://www.blogger.com/profile/01448224110676809874noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-86930818855841242892010-07-21T13:24:55.065+05:302010-07-21T13:24:55.065+05:30डॉ. अनुराग कि बात बहुत अच्छी लगी.डॉ. अनुराग कि बात बहुत अच्छी लगी.सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-46100078332633489842010-07-21T13:21:04.457+05:302010-07-21T13:21:04.457+05:30वाह डिम्पल, अक्सर ऐसा होता है कि कविता जहाँ से अपन...वाह डिम्पल, अक्सर ऐसा होता है कि कविता जहाँ से अपनी ले पकड़ता है वहीँ वो ख़तम हो जाती है... यहाँ कुछ ऐसा ही लगा... <br />आँखों के कोनों को<br />गीली सीली सी किसी खास कलाकार की अदायगी..<br /><br />यह तो याद कर लिया समझो<br /><br />हालांकि, इस बीच यह लाइन बहुत पसंद आई.<br /><br />पकते गुड़ की मीठी खुश्बू सी<br />या फिर <br />खेतों में खड़े पानी की हुम्स जैसी.<br /><br />शुक्रिया.सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-67547475509729737212010-07-12T13:39:00.412+05:302010-07-12T13:39:00.412+05:30फासलों की दीवार फांद
उम्मीद की टहनी पे
आ बैठती है ...फासलों की दीवार फांद<br />उम्मीद की टहनी पे<br />आ बैठती है तुम्हारी अलसाई हुई सी याद...<br /><br />धीरे धीरे ये अलसाई याद उतार जाती है जहाँ पर ... और आपकी रचना भी ... बहुत कमाल लिखा है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-27405927337480087612010-07-09T11:01:38.185+05:302010-07-09T11:01:38.185+05:30काफ़ी समय से काम की व्यस्तता के कारण रीडर ही नही ओ...काफ़ी समय से काम की व्यस्तता के कारण रीडर ही नही ओपेन कर पा रहा था.. फ़िर एक दिन देखा तो तुम्हारी सारी फ़ीड रिफ़्रेश हो गयी थी.. नया टेम्प्लेट अच्छा है और कविता तो क्या ही कहू :)<br /><br />"पढ़ के फेंकी गयी <br />अखबार की तरह<br />इधर उधर उड़ती रहती है.."<br /><br />"दूर जा के<br />फिर कहीं गुम हो जाती सडकों जैसी"<br /><br />उसकी यादो का एक जखीरा.. यादो पर कभी पढी हुयी दो लाईने याद आ गयी..<br /><br />"काश यादे रेत होती,<br />मुटठी से निकल जाती, मै पैरो से उडा देता॥"Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-13702032609470690562010-07-09T09:47:37.046+05:302010-07-09T09:47:37.046+05:30Awesome! Eqaully awesome was Dr. Anurag's resp...Awesome! Eqaully awesome was Dr. Anurag's response. Well done and Congratulations to you both for such beautiful expressions.Dr. Rajneeshnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-89874511081286367092010-07-05T13:10:27.322+05:302010-07-05T13:10:27.322+05:30फासलों की दीवार फांद
उम्मीद की टहनी पे
आ बैठती है ...फासलों की दीवार फांद<br />उम्मीद की टहनी पे<br />आ बैठती है तुम्हारी अलसाई हुई सी याद... <br />bahut sunder....kahi pada tha-<br />band jharokhon se bhi,<br />darakhto ke beech,<br />hawa si bah,<br />rangeen kar deti hai mera ghar<br />tumhari.<br /><br />tum nhi, na sahi,<br />hame jeene ka sahara h tumhari yaad.VIVEK VK JAINhttps://www.blogger.com/profile/15128320767768008022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-34680987667701004102010-07-04T21:50:10.009+05:302010-07-04T21:50:10.009+05:30sunder abhivyakti.
kahin padha tha...
kaun saa nat...sunder abhivyakti.<br />kahin padha tha...<br />kaun saa natak bhala khelen batao <br />paatra to milte magar abhinay nahin haiदेवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-19958361576041970702010-07-04T16:13:54.170+05:302010-07-04T16:13:54.170+05:30Dr. Anurag ka comment Pagli ladki bahut achcha lag...Dr. Anurag ka comment Pagli ladki bahut achcha laga...Dr. Kumar Vishwas ki rachna pagli ladki yaad aa gai....ab aap par aate hain.<br /><br /><br />ज़िन्दगी के रंगमंच पर<br />काली रात का पर्दा गिरता है<br />उम्र का इक और उजला दिन<br />किसी नाटक के इक पार्ट जैसा ख़त्म हो जाता है<br />उदास सी कर देती है<br />आँखों के कोनों को<br />गीली सीली सी किसी खास कलाकार की अदायगी... <br /><br />To duniya ek rangmanch hi hai <br />haan khaas kalakaar ki adaygi zindgi ka turn decide karti hai....Hamesha ki tarah khoobsooratप्रियाhttps://www.blogger.com/profile/04663779807108466146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-18218367594627156202010-07-03T22:53:39.615+05:302010-07-03T22:53:39.615+05:30ज़िन्दगी के रंगमंच पर
काली रात का पर्दा गिरता है
उ...ज़िन्दगी के रंगमंच पर<br />काली रात का पर्दा गिरता है<br />उम्र का इक और उजला दिन<br />किसी नाटक के इक पार्ट जैसा ख़त्म हो जाता है<br />उदास सी कर देती है<br />आँखों के कोनों को<br />गीली सीली सी किसी खास कलाकार की अदायगी... <br />......................<br />..........................<br />...........................<br />............................संध्या आर्यhttps://www.blogger.com/profile/12304171842187862606noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-80415209533964302422010-07-03T20:22:07.035+05:302010-07-03T20:22:07.035+05:30very nicevery nices.dawangehttps://www.blogger.com/profile/16692965693881262813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-46237571582555496172010-07-03T09:05:48.800+05:302010-07-03T09:05:48.800+05:30:):)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-30031564194142149662010-06-30T16:19:23.947+05:302010-06-30T16:19:23.947+05:30उदास सी कर देती है
आँखों के कोनों को
गीली सीली सी ...उदास सी कर देती है<br />आँखों के कोनों को<br />गीली सीली सी किसी खास कलाकार की अदायगी... <br /><br />panila panila sa kuch mahsoos sa hua...bahut hi badhiya likha aapne, aabharAvinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-6188343737708582772010-06-30T08:24:23.220+05:302010-06-30T08:24:23.220+05:30संजो कर रखें इन यादों को, जिन्दगी के बाद भी जाती ...संजो कर रखें इन यादों को, जिन्दगी के बाद भी जाती हैं ये यादें...ओम आर्यhttps://www.blogger.com/profile/05608555899968867999noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-63055111261412175812010-06-29T17:01:35.127+05:302010-06-29T17:01:35.127+05:30बहुत ही खूबसूरत लिखा है, बधाई !बहुत ही खूबसूरत लिखा है, बधाई !Rangahttps://www.blogger.com/profile/13877245734472092315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-27157026429582965702010-06-29T09:48:39.901+05:302010-06-29T09:48:39.901+05:30मैं चिटठा जगत की दुनिया में नया हूँ. मेरे द्वारा भ...मैं चिटठा जगत की दुनिया में नया हूँ. मेरे द्वारा भी एक छोटा सा प्रयास किया गया है. मेरी रचनाओ पर भी आप की समालोचनात्मक टिप्पणिया चाहूँगा. एवं यह भी जानना चाहूँगा की किस प्रकार मैं भी अपने चिट्ठे को लोगो तक पंहुचा सकता हूँ. आपकी सभी की मदद एवं टिप्पणिओं की आशा में आपका अभिनव पाण्डेय <br />यह रहा मेरा चिटठा:- <br />http://sunhariyaadein.blogspot.com/abhinav pandeyhttps://www.blogger.com/profile/11042946864144949802noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-81108775299577244152010-06-28T17:26:16.959+05:302010-06-28T17:26:16.959+05:30फासलों की दीवार फांद
उम्मीद की टहनी पे
आ बैठती है ...फासलों की दीवार फांद<br />उम्मीद की टहनी पे<br />आ बैठती है तुम्हारी अलसाई हुई सी याद...<br /><br /> वाह क्या याद है .लाजवाब !!!!!!रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-89681381700845716772010-06-28T15:53:35.811+05:302010-06-28T15:53:35.811+05:30वाह!वाह!महेंद्र मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07301840649496624127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-61405511417475793112010-06-28T13:45:43.552+05:302010-06-28T13:45:43.552+05:30किसी जगह ये पढ़ा था ..किसी विमल ने लिखा है ...... ...किसी जगह ये पढ़ा था ..किसी विमल ने लिखा है ...... इसके चंद टुकड़े बहुत अच्छे है ....खास तौर से इसकी शुरुआत ...तुम्हे पढ़ा जाने क्यूं बांटने का मन किया .....<br /><br /><br />अजब पागल सी लड़की है,<br />मुझे हर ख़त में लिखती है,<br />मुझे तुम याद करते हो?<br />तुम्हे मैं याद आती हूँ?<br />मेरी बातें सताती हैं?<br />मेरी नींदें जगाती हैं?<br />मेरी आँखें रुलाती हैं?<br /><br />दिसंबर की सुनहरी धूप में अब भी टहलते हो?<br />किसी खामोश रस्ते से,<br />कोई आवाज़ आती है?<br />ठिठुरती सर्द रातों में,<br />तुम अब भी छत पे जाते हो?<br />फलक के सब सितारों को,<br />मेरी बातें सुनाते हो?<br /><br />किताबों से तुम्हारे इश्क में कोई कमी आई?<br />या मेरी याद की शिद्दत से आँखों में नमी आई?<br /><br />अजब पागल सी लड़की है,<br />मुझे हर ख़त में लिखती है.....<br /><br />जवाबन उसको लिखता हूँ,<br /><br />मेरी मसरूफियत देखो,<br />सुबह से शाम ऑफिस में,<br />चिराग-ए-उम्र जलता है,<br />फिर उसके बाद दुनिया की,<br />कईं मजबूरियां पावों में,<br />बेड़ी डाल रखती है,<br />मुझे बेफ़िक्र चाहत से,<br />भरे सपने नहीं दिखते,<br />टहलने, जागने, रोने की,<br />मोहलत ही नहीं मिलती,<br />सितारों से मिले अरसा हुआ,<br />नाराज़ हों शायद,<br />किताबों से शुगफ मेरा,<br />अभी वैसे ही कायम है,<br />फर्क इतना पड़ा है बस,<br />उन्हें अरसे में पढ़ता हूँ,<br />तुम्हे किसने कहा पगली,<br />तुम्हे मैं याद करता हूँ......<br /><br />के मैं खुद को भुलाने की,<br />मुसलसल जुस्तजू में हूँ,<br />मगर ये जुस्तजू मेरी,<br />बहुत नाकाम रहती है,<br />मेरे दिन रात में अब भी,<br />तुम्हारी शाम रहती है,<br />मेरे लफ़्ज़ों की हर माला,<br />तुम्हारे नाम रहती है,<br />तुम्हे किसने कहा पगली,<br />तुम्हे मैं याद करता हूँ,<br /><br />पुरानी बात है जो लोग अक्सर गुनगुनाते हैं,<br />उन्हें हम याद करते हैं जिन्हें हम भूल जाते हैं,<br /><br />अजब पागल सी लड़की हो,<br />मेरी मसरूफियत देखो,<br />तुम्हे दिल से भुलाऊं तो, तुम्हारी याद आये ना,<br />तुम्हे दिल से भुलाने की, मुझे फुरसत नहीं मिलती,<br /><br />और इस मसरूफ जीवन में,<br />तुम्हारे ख़त का इक जुमला,<br />"तुम्हे मैं याद आती हूँ?"<br />मेरी चाहत की शिद्दत में, कमी होने नहीं देता,<br />बहुत रातें जगाता है, मुझे सोने नहीं देता,<br />सो अगली बार अपने ख़त में,<br />ये जुमला नहीं लिखना,<br /><br />अजब पागल सी लड़की है,<br />मुझे फिर भी ये लिखती है,<br />मुझे तुम याद करते हो?<br />तुम्हे मैं याद आती हूँ?डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-64852486127376710172010-06-28T09:13:23.644+05:302010-06-28T09:13:23.644+05:30Hello Dimple,
The composition is very well writte...Hello Dimple,<br /><br />The composition is very well written.<br />All comparisons are done in a fantastic way...<br /><br />"पढ़ के फेंकी गयी<br />अखबार की तरह<br />इधर उधर उड़ती रहती है.."<br /><br />After reading these 3 lines.. I just felt... wow!! what an imagination this girl has ;-)<br /><br />Regards,<br />DimpleDimplehttps://www.blogger.com/profile/04616482931140406425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-63988467019074630692010-06-28T04:24:31.355+05:302010-06-28T04:24:31.355+05:30बहुत बेहतरीन भावपूर्ण अभिव्यक्ति! बधाई.बहुत बेहतरीन भावपूर्ण अभिव्यक्ति! बधाई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-69032289449996091192010-06-27T22:50:25.648+05:302010-06-27T22:50:25.648+05:30खूबसूरती से लिखे गए भाव...खूबसूरती से लिखे गए भाव...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-78404142534099907952010-06-27T22:20:54.696+05:302010-06-27T22:20:54.696+05:30बहुत भावमय रचना है बधाई।बहुत भावमय रचना है बधाई।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-23439409130903575562010-06-27T22:18:28.246+05:302010-06-27T22:18:28.246+05:30ज़िन्दगी के रंगमंच पर
काली रात का पर्दा गिरता है.....ज़िन्दगी के रंगमंच पर<br />काली रात का पर्दा गिरता है...<br /><br />और कहीं नेपथ्य से आवाज़ आती है...<br />'very well done !! let's have a break."<br />ये रात का अंतराल...<br />और उसमें चलने absurd plays.<br />sach ....<br />...kuch sapne wakai sone नहीं dete...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6027169361733927297.post-35214818471052940172010-06-27T22:08:56.865+05:302010-06-27T22:08:56.865+05:30एक अलसाई हुई सी याद, जिसका कोई बिम्ब, कोई उपमा नही...एक अलसाई हुई सी याद, जिसका कोई बिम्ब, कोई उपमा नहीं....<br />लेकिन उन उबासियों से निकलने वाली हर अंगड़ाई से एक कविता गिरती है.<br />तुम्हीं से गिरे, अब तुम उठाओ ना...Anonymousnoreply@blogger.com