शुक्रवार, 18 मार्च 2011

मुख़्तसर सी बात...

अच्छा ये बताओ,आज किसका नम्बर है?
किसका सपना देखोगी? :)
उफ़ जी चाहता है बाल नोच लूँ .उसके नहीं अपने.
चिढ़ के कहती हूँ,"तुम्हारा"
मेरा क्यूँ?
मेरा नहीं,रहने दो फिर,सपना तो किसी और का देखना होगा.
अच्छा  ये रहने दो,ये बताओ कि देखने नहीं आया कोई? :)
कोई आने वाला था न?
हाय रब्बा!! कितना बोलता है ये लड़का.
हाँ,देख गया..
ओह गुड..
बताया भी नहीं हमें.
मेरी मर्जी..
शाम ढलने लगी,पंछी भी लौट चले.बत्तियां जल उठी.मैं भी जाऊं अब?
ठीक है जाओ..

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तुम्हारी सभी तारीफ करते है.
तुम्हे सब चीज़े कैसे पता रहती हैं?
मुझे कुछ क्यूँ नहीं आता?
सब लोग ऐसे ही बोलते है,मैं  से खूब अच्छे से पहले से ही पढ़ के आता हूँ,जो भी सर पूछते है फट से बता देता हूँ.पता है परसों जो थियुरम करवाई थी वो मैंने घर जा के ५१ बार लिख लिख के देखि.५० बार में तो मुझे समझ नहीं आई थी.so practice makes a man perfect.
हम्म ..मेरा मन नहीं करता.
ऐसे थोड़े न चलेगा.अच्छा,दिखाओ अपनी नोट बुक.कल जो टोपिक मिला था,दिखाओ कितना लिखा तुमने?
बस इत्ता सा..इसे और लिखो.
नहीं और नही लिखा जाता..मुझे इत्ता ही आता है.
लिखा जायेगा,लिखोगे तो आएगा.
तुम लिख दो.
मैं??
मैं क्यूँ लिखूंगा?
जिसका काम वही लिखे,इसे और लिखो अभी..
हम्म...

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क्या बात..:)
बड़ी डिसकशन हो रही थी प्रीती से :)मूविस,गाने जाने क्या क्या..
हम्म..वो पूछ रही थी मैं बस बता रहा था.

आये हाय हाय...और क्या पूछ रही थी?
तुम्हारा भी दिमाग जाने क्या उल्टा-पुल्टा सोचता रहता है.
चलो रहने देते है.प्रीती कि नहीं नीता की बात करते हैं.तुम्हे कितना पसंद करती है एक दिन नहीं आते हो तो पूछती रहती है हर किसी से तुम्हारे लिए.और है भी सबसे सुंदर..तुम्हारी जोड़ी खूब अच्छी लगेगी.
हद्द है..कैसा उल्टा दिमाग है तुम्हारा.
अच्छा जी ,अपनी बारी आई तो मेरा दिमाग ही उल्टा हो गया.
ठीक है मुझे सारी लड़कियां पसंद है..प्रीती भी.नीता भी.नैना भी सुनयना भी.खुश..या और कुछ बाकी रह गया अभी.
हुं..मुझे क्या..


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कब जा रहे हो?
परसों..
कब आओगे?
पता नही..
अच्छा है..
तुम आराम से रहना अब..
कोई परेशान नहीं करेगा.
हम्म..
वो तो है...
तुम भी खुश रहना..
तुम्हे भी तो कोई परेशान नही करेगा.
हम्म..
रेत घड़ी हर रोज़ पलटती है....

12 टिप्‍पणियां:

  1. Hansaate,hansaate,ant me sanjeeda ho gayeen!
    Holikee dheron shubhkamnayen!

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  2. चिन्तन को इतने सहज रूप से प्रस्तुत करना कठिन होता है, बहुत सुन्दर परिदृश्य।

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  3. बहुत सुन्दर परिदृश्य।
    होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ|

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  4. बस लिखने पढने वाले प्रेमी थोडा सा जुदा बिहेवियर यहाँ करते है .....वर्ना बाकि सब कुछ सामान्य है.!

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  5. ऐसे हालात में
    सृजन के पलों में
    देखा है अक्सर
    कुछ ना कहते हुए भी
    कुछ
    कह-सा दिया जाता है....
    और
    डॉ अनुराग जी से
    सहमत हो जाने का
    मन तो है .....!!

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  6. SAMPOORN ROOP SE SMARPIT PREM KA ANUBHAV YUGANDHAR SE SHAASHVAT RAHA HAI..........SHABD BADALTE RAHE HAIN..........BHASHA........KOI BHI HO BAAV KEWAL PREM HAI......KEWAL PREM.......SAMPOORN PREM ........SHIV KI BHANTI SATYA AUR SUNDAR.

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  7. कुछ बातों को समझना इतना कठिन होता है कि सब कुछ समझ में आते हुए भी कुछ भी समझ में नही आता...
    ...और जब कुछ समझ मे आता है तो... रेत घड़ी... पलट जाती है...

    बिना एहसास के ऐसे शब्द नही मिलते.. किधर से खोजा आपने? :)

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  8. कुछ शब्द सिर्फ शब्द नहीं रह जाते है , वो बन जाते हिया अहसास ... इस दिल को छूने वाली रचना के लिये बधाई !!
    आभार
    विजय
    -----------
    कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

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  9. ऐसा लग रहा था कि में और "वो" बातें कर रहे हैं ..एक एक शब्द को मेने जिया है .. बहोत खूब :)

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  10. Aisa lag raha tha ki "vo" baatein kar rahe hain. Haan, maine bhi jiya hai ek-ek shabd. :,(

    Mujhko dard is baat ka nahin hai ki ye sab tha, dard hai to bus is baat ka ki main in sab main kyun tha?

    Ishwar itna pain kisi dushman ko bhi na de, usey bhi nahin !

    Badhiya likha hai Dimple Jee. Aap badhiya hi likhti hain. Aapki poems ki kitaab aani chahiye ek.

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