बुधवार, 7 अप्रैल 2010

उदास लड़कियां..

बंद खिड़कियो के पीछे,
उदास लड़कियां ..

रेशमी रुमाल पे,
नाम लिखती,
और रंग बिरंगे धागों से काढ़ती उदास लड़कियां..

खारे पानी में भिगो के,
दुपट्टो पे,
कच्चे रंग चढ़ाती उदास लड़कियां..

मेहँदी की नाज़ुक पत्तियो को,
चुन चुन के,
तोड़ती,पीसती भिगोती और सजाती उदास लड़कियां..

टूटी कांच की चूड़ी,
हथेली पे फिर से तोडके,
किसी बिछड़े हुए का प्यार तोलती उदास लड़कियां...

शाम ढले काले कैनवस पे,
खींचती एक बिंदु चाँदी रंग का
और जगा देती उदास लड़किया..

जमा जमा के पैर रखती,
सीढियां उतरती,
शांत पानी में हलचल मचाती,
अपनी गहरी उदासियो में उतर जाती उदास लड़कियां...

34 टिप्‍पणियां:

  1. अपनी गहरी उदासियो में उतर जाती उदास लड़कियां..

    -भावों की उम्दा अभिव्यक्ति!!

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  2. वक़्त के मोड़ो पे एक सांवली उदास लड़की अब भी मुझसे उलझती है......

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  3. इस पोस्ट के लिए साधुवाद।

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  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  5. टूटी कांच की चूड़ी,
    हथेली पे फिर से तोडके,
    किसी बिछड़े हुए का प्यार तोलती उदास लड़कियां...

    बंद खिड़कियो के पीछे,
    उदास लड़कियां ..

    खिड़कियाँ खोलनी होगी. ठंडी हवा के झोके जब लटों को छूकर जायेंगी तो संग उदासी भी ले जायेगी.
    बहुत बारीकी से मन:स्थिति को पिरोया है, वाह क्या भाव संजोया है.

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  6. वो लड़कियां
    जो उदास रहती थीं
    दरअसल
    उदासी को साथ देती थीं
    उसकी तन्हाई में

    इस तरह वे
    पृथ्वी पे
    ख़ुशी से लेकर
    उदासी तक
    हर चीज के साथ होती थीं.

    दरअसल उदास होते हुए भी
    मेरे बहुत पास थीं वे लड़कियां

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  7. ये लड़कियां इतनी उदास क्यों है ?

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  8. पर ये लडकियां इतनी उदास क्यों हैं...ये बस वो लडकियां ही जानती हैं ! और कोई शायद जानना भी नहीं चाहता!

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  9. Hello :)

    "अपनी गहरी उदासियो में उतर जाती उदास लड़कियां..."
    What a sensitivity!!
    Very beautiful projection of emotions.
    Trust me, you are really writing very well these days!

    All my love.
    Regards,
    Dimple
    http://poemshub.blogspot.com

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  10. Dimple.....hamne to is rachna ko apne tareeke se samjha lekin ham aapka nazariya janna chahte they....Msg bhi kiya aapko...but they way you define really touching

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  11. नाज़ुक सी ....महकी सी ....गुनगुन करती कविता .

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  12. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  13. कुछ दर्द की गाँन्ठे
    जब नही खुलती है
    किसी भी तरह के लम्हो से
    तब वो फिर फिर से
    तौलती है अपने बिछुडे पलो को
    रात,सहर,मेहंदी,खुश्बू,प्यार,हँसना,रोना,
    इन सब मे फिर फिर से गहरे उतरती है
    ये उदास लडकियाँ.......इनकी उदासियाँ भी बहुत सच्ची और निर्मल होती है.......मैने भी कई उदास लडकियो को देखा है बहुत करीब से....

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  14. लड़कियाँ
    हमेशा से बाप भाई और पति की सीमा में रहीं
    मासूम निरीह लड़कियाँ ...

    बाहित ही अच्छी रचना है .. अनुपम .. दिल को छूती हुई

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  15. उदास लड़कियाँ - प्रयोग अतिरिक्त है । इसे हटाएँ , रचना का प्रभाव बढ जाएगा ।

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  16. राज,बहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आया हूँ और उसी तरह प्रसन्ना हुआ जैसे प्रथम बार आने पर.
    बहुत संवेदनाओं से भरी रचना ,सुंदर लिखती हो आप /धन्यवाद,आभार
    सादर,
    डॉ.भूपेन्द्र

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  17. कश्मीर की वादियों में कैद लड़कियों की याद आ गई..तस्वीर काफी कुछ कह देती..ऐसे द्श्रय लगातार देखने को मिलते हैं आतंक के दौर में.....पर वहीं क्यों कई जगह आज भी लड़कियां उदास है..लगता कि इन्हें आजाद कर दे उन्मुक्त आकाश मे उड़ान भरने के लिए...

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  18. उदास लडकिया... उन्हे मनाईये..खिड्की से बाहर लाईये और ये खूबसूरत जहान दिखाईये.. ज़िन्दगी से मिलवाईये.. फ़िर देखिये उदासी कहा चली जायेगी..

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  19. जमा जमा के पैर रखती,
    सीढियां उतरती,
    शांत पानी में हलचल मचाती,
    अपनी गहरी उदासियो में उतर जाती उदास लड़कियां.
    .. बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी क्या भाव संजोया है.

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  20. bahut hi behtareen kavita...
    dubaara padhne chala aaya ....
    mere blog par is baar..
    वो लम्हें जो शायद हमें याद न हों......
    jaroor aayein...

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  21. उदासी एक पैरहन सी होती है, एक ओढ़नी..जिसे हया का वास्ता दे कर लड़कियों को उढ़ा दिया जाता है..जिसे सारी उम्र लड़किया अपने सर पे सम्हाले रहती हैं..अपने चेहरे से उतरने नही देती..हयादार रहने के वास्ते!..मगर जरूरत होती है ओढ़नी परे रख कर थोड़ा बेशर्म हो जाने की..खिड़की से बाहर थोड़ा सा उड़ने की..हँसना बेशर्मी है..और खुश रहना जिंदगी..!!

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  22. पहली पंक्ति से आगे सीढियां नीचे की ओर उतरती जाती है. एक अतल गहराई में, दुखों और मन की उदास परछाईयों को छूती हुई.

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  23. उदासियों की खिड़कियाँ ...कविता के अंत तक पहुँचते-पहुँचते उदासियों के तहखाने में ले जाती हैं ...

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  24. मैं चिटठा जगत की दुनिया में नया हूँ. मेरे द्वारा भी एक छोटा सा प्रयास किया गया है. मेरी रचनाओ पर भी आप की समालोचनात्मक टिप्पणिया चाहूँगा. एवं यह भी जानना चाहूँगा की किस प्रकार मैं भी अपने चिट्ठे को लोगो तक पंहुचा सकता हूँ. आपकी सभी की मदद एवं टिप्पणिओं की आशा में आपका अभिनव पाण्डेय
    यह रहा मेरा चिटठा:-
    **********सुनहरीयादें**********

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  25. शीर्षक इतना उम्दा है कि मैं खींचा चला आया.. बहुत उम्दा लिखा है डिम्पल

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  26. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (21-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  27. बहुत ही खूबसूरती के साथ जीवन के रंगों को उकेरा है आपने इस रचना के माध्यम से!

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...क्यूंकि कुछ टिप्पणियाँ बस 'टिप्पणियाँ' नहीं होती.